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प्रयोग : मेट्रो परिचालन निजी हाथों में देने की तैयारीBy Live-Hindustan

मेट्रो की परिचालन सेवाएं निजी हाथों में देने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने दोबारा निविदा जारी की है। मेट्रो की रेड लाइन (रिठाला से न्यू बसअड्डा गाजियाबाद) और यलो लाइन (समयपुर बादली से हुडा सिटी सेंटर) के लिए निविदा जारी की गई है। मेट्रो इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर रही है। प्रयोग सफल रहने पर अन्य लाइनों पर भी इसे आगे बढ़ाया जाएगा।

दूसरी कोशिश : डीएमआरसी की मेट्रो परिचालन को निजी हाथों में देने की यह पहली कोशिश नहीं है। इससे पहले दिसंबर 2018 में इन्हीं दो रेड और यलो लाइन के लिए यह निविदा जारी की गई थी। मगर, अपेक्षा के मुताबिक कंपनियों के आगे नहीं आने के कारण वह निविदा सफल नहीं रही।

निजी कंपनियों को परिचालन देने के लिए मेट्रो ने जो दूसरी निविदा जारी की है उसके मुताबिक अनुमानित लागत 53.59 करोड़ रुपये है। जबकि, पहली निविदा में यह लागत 49.59 करोड़ थी। यलो लाइन की कुल अनुमानित लागत 31.57 करोड़ है जो पहले 29.95 करोड़ थी। इसी तरह रेड लाइन की अनुमानित लागत 19.64 करोड़ से बढ़कर 21.54 करोड़ हो गई है।

यलो लाइन
48.8 किलोमीटर लंबी है मेट्रो की यलो लाइन। इसमें 37 स्टेशन हैं
31.57 करोड़ प्रस्तावित परिचालन लागत रखी गई है इसकी

रेड लाइन
34 किलोमीटर लंबी है रेड लाइन
29 मेट्रो स्टेशन हैं। 21.54 करोड़ रुपये प्रस्तावित परिचालन लागत है

* 08 लाख से अधिक यात्री रोजाना सफर करते हैं यलो और रेड लाइन पर।
* 41 माह के लिए दिया जाएगा परिचालन। इसमें पांच महीने प्रशिक्षण के लिए होंगे।

इन नियमों में छूट दी गई
अनुभव : ज्यादा कंपनियों को बुलाने के लिए मेट्रो ने सबसे बड़ी राहत कंपनियों के अनुभव को लेकर दी है। मसलन इसमें सिर्फ मेट्रो, मोनोरेल, रैपिड रेल परिचालन, मेट्रो के रखरखाव करने वाली कंपनियों के अनुभव की आवश्यकता नहीं है।

टर्नओवर : पहले कंपनी का सालाना टर्नओवर 15.71 करोड़ रखा गया था। इसे घटाकर 5.04 करोड़ कर दिया गया है। अगर दो कंपनियां अलग-अलग काम कर रही हैं तो पहले सालाना टर्नओवर की शर्त 9.82 करोड़ थी जो घटाकर 3.15 करोड़ कर दी गई है।

मंत्रालय की नीति के तहत काम हो रहा
मेट्रो का कहना है कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की मेट्रो नीति 2017 के तहत यह काम हो रहा है। मेट्रो पॉलिसी में परिचालन और रखरखाव के एक्ट में निजी भागीदारी की वकालत की गई है। इसके बाद ही मेट्रो की प्रस्तावित योजनाओं में केंद्र से मदद मिलेगी। इसी के तहत दिल्ली मेट्रो परिचालन में अनुभव रखने वाली कंपनी को निविदा के जरिए जोड़ने की कोशिश कर रही है।