रामसेतु प्रेम का प्रतीक है। श्रीराम और सीता का जीवन वास्तविक प्रेम का उदाहरण है। मां दुर्गा के चरणों में अनुरक्ति ही सच्चा प्रेम है। वेलेंटाइन डे के नाम पर आडंबर हो रहा है। इससे सभी को बचने की जरूरत है। यह बात बुधवार को श्री ज्ञानेश्वर शिव मंदिर में चल रही देवी भागवत कथा में देवी वैभवीश्री ने कही। वैभवीश्री ने ध्यान का महत्व बताते हुए कहा इंद्रियों को विश्राम देना ध्यान है। शरीर हमें छोड़ता है तो मृत्यु होती है, जब हम शरीर को छोड़ते हैं तो वह ध्यान है। उन्होंने कहा आत्मविश्वास जगाकर भ्रम को दूर कर सकते हैं। रक्तबीज को वर्तमान समय में आनुवांशिक बीमारी बताते हुए कहा भगवती की उपासना से इन पर विजय प्राप्त होती है। माता-पिता की सेवा करने वाले ही भगवती की कृपा के अधिकारी होते हैं। आकर्षक झांकी के साथ शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग भी बताया। शिव बारात में भूत, प्रेत, गण, नंदी, देवी-देवता शामिल हुए। ज्ञानेश्वर शिव मंदिर परिसर में चल रहे सहस्त्रचंडी यज्ञ का गुरुवार को समापन होगा। 11 बजे देवी भागवत कथा होगी। 12 बजे यज्ञ की पूर्णाहुति और भंडारा प्रसादी होगी। मुलताई। देवीभागवत में झांकी सजाई गई।